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जय गौमाता, जय गोपाल।

हमारे देश में मां शब्द का एक विशेष अर्थ है, जो हमारे प्राणों का सबसे अधिक रक्षण पोषण करती है उसे मां कहते हैं।

आप देखिए सृष्टि में जितने भी जीव हैं उनमें गाय हमारे प्राणों का सबसे अधिक रक्षण पोषण करती है। इसलिए हमने गाय को मां का दर्जा दिया है। जैसे किसी बच्चे की मां का देहांत हो जाये तो हमारी परंपरा रही है कि उस बच्चे को गाय का दूध ही पिलाया जाये। उस दूध से ही बच्चे का पोषण होता है या रक्षण होता है। उस समय उसे किसी अन्य जीव या पशु का दूध नहीं पिलाया जाता है।


देशी गाय का दूध, दही, घी, गोबर, गोमूत्र, ये पांचों मनुष्य के तमोगुण और रजोगुण को शांत करते हैं और सतोगुणों में वृद्धि करते हैं। इसलिए गाय को पशु नहीं मां कहां गया है।


गाय मनुष्य को 70% स्वावलंबी बनाती है जैसे गाय के दूध से हमें आहार मिल जाता है। गाय का दूध है, दही है, घी है, छाछ है, मलाई है और उनसे बनने वाले विभिन्न व्यंजन हैं। गाय का दूध अपने आप में पूर्ण आहार माना गया है। भारत में ऐसे बहुत से लोग हैं जो कई दशकों से केवल और केवल गाय के दूध पर हैं। ना वो कोई अन्न लेते हैं, ना फल देते हैं, ना ही कोई सब्जी लेते हैं।

ऐसे ही गाय का गौमूत्र जो है वो परम औषधि है,‌कैंसर जैसे लोग भी गोमूत्र से ठीक हो रहे हैं। ऐसे ही गाय का गोबर है वो‌ हमें रेडियेशन से बचाता है। अगर आपके घर की दीवारें गोबर से लिपी हुईं हैं तो आप काफी हद‌ तक रेडियेशन से बच सकते हैं।

गौमाता को पुनः हमारे दैनिक जीवन में वापस लाना होगा, अपने लिए, आने वाली पीढ़ी के लिए और जन कल्याण के लिए।

जय गौमाता, जय गोपाल। 🙏🙏


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